Lingashtakam Stotram : लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम् - Bhagwat Vandana

Saturday, August 25, 2018

Lingashtakam Stotram : लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम्



Lingashtakam Stotram : 

लिङ्गाष्टकम् स्तोत्रम् 


ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगम्

निर्मलभासित शोभित लिंगम्।

जन्मज दुःख विनाशक लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥1॥


देवमुनि प्रवरार्चित लिंगम्

कामदहन करुणाकर लिंगम्।

रावणदर्प विनाशन लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥2॥


सर्वसुगन्धि सुलेपित लिंगम्

बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम्।

सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गम्

 तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥3॥


कनक महामणि भूषित लिंगम्

फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।

दक्ष सुयज्ञ विनाशन लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥4॥


कुंकुम चन्दन लेपित लिंगम्

पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।

सञ्चित पाप विनाशन लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥5॥


देवगणार्चित सेवित लिंगम्

भावैर्भक्तिभिरेव च लिंगम्।

दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥6॥


अष्टदलो परिवेष्टित लिंगम्

सर्व समुद्भव कारण लिंगम्।

अष्टदरिद्र विनाशित लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥7॥


सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगम्

सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम्।

परात्परं परमात्मक लिंगम्

तत् प्रणमामि सदाशिवलिंगम् ॥8॥


लिंगाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ ।

शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥


========================================================================

No comments:

@Bhagwat Vandana